White *गज़ल*
*मुखड़ा 1-* आपकी याद आती है रात भर,
क्यों तुम जगाती हो रात भर।
दिल को सुकून ना आता कभी,
चुपके से रुलाती हो रात भर।
*अंतरा 1-* चांदनी की तरह तुम खामोश,
पर आग लगाती हो रात भर।
ख्वाबों में आकर मुस्कुराती,
फिर से कसमसाती हो रात भर।
*अंतरा 2-* तुम्हारे बिन दिल खाली सा है,
तन्हाई सजाती हो रात भर।
आंसू छुपाकर यूं सो जाते,
पर तुम याद आती हो रात भर।
*अशोक वर्मा "हमदर्द"*
©Ashok Verma "Hamdard"
रात सपनों में आती है