White तू वैरागी अपनी नगरी का
मैं अनुरागी अपने गृह की
तू घाट घाट नदियों सा बहता
मैं ठहरी शांत सरोवर सी
तू विरक्त जहां की माया से
मैं अनुरक्त स्वयं की छाया से
तु भावशून्य की बातें करता
मैं भावनाओं में बह जाती
तू ज्ञानी किसी सिद्धपुरूष सा
मैं अज्ञानी नवजात शिशु सी
तू विस्तृत ज्ञान नभ के जैसा
मैं अंशमात्र छोटी बदली सी
तू लिखे मृत्यु को प्रेयसी सी
मैं गाऊं गीत बस जीवन की
तू ढूंढे वैराग्य श्मशानों में
मैं ढूंढू मन के कोनों में
तू बसता है कण कण में,
मैं ढुंढु तुझे शिवालों में !
🙏🙏
©Manvi Singh Manu
#Shiva