सच तो ये है की कसूर अपना है,,
चाँद को छूने की तंमना की
आसमा को जमीन पर मांगा
फूल चाहा के पत्थरों पे खिले
कन्टो में की तलाश खुशबू की
आरजू की के आग ठंडक दे
बर्फ में ढूंढते रहे गर्मी
ख्वाब जो देखा चाहा सच हो जाए
इसकी हमको सज़ा तो मिलनी थी
सच तो ये है कि कसूर अपना है।।
(जावेद अख्तर)✍️
#alone