पुल जोड़ते थे 'काफ़िर' इसलिए ढहा दिए गए
दीवारें बांटती थी तभी आसमाँ छूती दिखाई दी
शिखर गुरूर सिखाते थे इसलिए सर ऊंचा कर रहे
सड़के एक करती थी सबको जो टूटी दिखाई दी
खिड़की तरसाती थी मिलन को तभी खुली दिखी
दरवाजे वस्ल के मुंतजिर थे उनपे खूंटी दिखाई दी
भूख गुनहगार बनाती थी इसलिए बढ़ती ही रही
इज्जत ने रिश्ते कायम किये जो लूटी दिखाई दी
#काफ़िर