मेरी तक़दीर की डाल से बूरे वक़्त का पंछी परवाज़ कर
"मेरी तक़दीर की डाल से बूरे वक़्त का पंछी परवाज़ कर गया
और जाते ही मेरी क़िस्मत में तख़्त व ताज कर गया
दुनिया की उल्फ़त में मेरे गुज़रे हुये वक़्त ने मुझे कुछ ना दिया
मगर मुझे आज फ़क़त नबी के इश्क़ ने ही मुमताज़ कर गया
मो.इक्साद अंसारी"
मेरी तक़दीर की डाल से बूरे वक़्त का पंछी परवाज़ कर गया
और जाते ही मेरी क़िस्मत में तख़्त व ताज कर गया
दुनिया की उल्फ़त में मेरे गुज़रे हुये वक़्त ने मुझे कुछ ना दिया
मगर मुझे आज फ़क़त नबी के इश्क़ ने ही मुमताज़ कर गया
मो.इक्साद अंसारी