परिंदों के इतना चहकने की , फूलों के इतना महकने की | हिंदी शायरी

"परिंदों के इतना चहकने की , फूलों के इतना महकने की रात कहां से आई है ऐ बिन बादल बरसात , वो सुनी सुनी आवाज कहां से आई है पता करो, कहीं किसी को फिर से इस आवारे शायर की याद तो नहीं आई है ------ tripath_i_harsh"

 परिंदों  के इतना चहकने की , फूलों के इतना महकने की रात कहां से आई है
 ऐ बिन बादल बरसात , वो सुनी सुनी आवाज कहां से आई है 
पता करो, कहीं किसी को फिर से इस आवारे शायर की याद तो नहीं आई है
------
tripath_i_harsh

परिंदों के इतना चहकने की , फूलों के इतना महकने की रात कहां से आई है ऐ बिन बादल बरसात , वो सुनी सुनी आवाज कहां से आई है पता करो, कहीं किसी को फिर से इस आवारे शायर की याद तो नहीं आई है ------ tripath_i_harsh

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