कुछ तो बात है तेरी फितरत में ऐ ज़ालिम ,
वरना हम प्यार बार - बार न करते ।
तेरे रुठ जाने पर ,
हर बार तेरा इंतेज़ार न करते ।
बस एक मुस्कुराहट पे तेरी ,
अपना सब कुछ लुटाने की बात यू ही न करते।
तेरी ही यादों में ,
यू ही राते बिताया न करते ,
और सुबह होते ही तेरी फोटो को ,
फिर से सीने से लगाया न करते ।
कुछ तो बात है तेरे ओर मेरे बीच
वरना ऐसे तेरा इंतज़ार हम न करते ।
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