मंज़िल है बहुत दूर,रास्ता बिल्कुल नहीं आसान है !
अपनी भूख तो सह लूं मालिक, क्या करू बच्चा भूख से परेशान है .
सब्र का टूट रहा है बाण अब,
बचाओ कोई अटकी हुई जान है.
रास्तों के कंकड़ भी हट जाते है खुद,
मेरे पांव के छालों को देख वो भी हैरान है।
मेरी हालत को समझ कर ही देखो
बातें बनाना तो बहुत आसान है।
कैसे पार करूं इस मुश्किल को,
कंधों पर भारी वजन और सामने ऊंची चट्टान है।
रेंगते हुए पहुंच भी जाऊ मंज़िल के करीब अगर,
क्या शर्त है कि वहां ज़िंदगी आसान है !
आपको क्या मालूम होगी हमारी तकलीफें,
आप तो जान के भी बनते अनजान है।
ये खूबसूरत शहर, शहर नहीं है अब
ये तो एक ख़ौफ में लिपटे हुए लोगों का मैदान है!
................... ✍️
#dilkibaat #jazbaat
मंज़िल है बहुत दूर,रास्ता बिल्कुल नहीं आसान है !
अपनी भूख तो सह लूं मालिक, क्या करू बच्चा भूख से परेशान है ?
सब्र का टूट रहा है बाण अब,
बचाओ कोई अटकी हुई जान है.
रास्तों के कंकड़ भी हट जाते है खुद,
मेरे पांव के छालों को देख वो भी हैरान है।
मेरी हालत को समझ कर ही देखो