आँखों से ओझल हो गया टूटा हुआ कोई तारा था, गुजरा जो वक्त तुम संग बहुत ही प्यारा था
उन पलों मे सिमटा जीवन सारा था
खुशियों को समेटे नील गगन मे हर जुगनू एक तारा था
न जाने कब कहाँ कैसे
जज्बातों व एहसासो की मंजिल उठी
नयनो से नयनों की भाषा रूठी
थोरा थोरा करके सबकुछ कहीं से छूटा जा रहा था
धीरे धीरे यू ही इक दिन वो ऐसे
आखोँ से ओझल हो गया
छनिक रोशनी देकर
यू हमसे किश्तो मे दूर जा रहा था
मेरी किस्मत का जैसे धृवतारा नही
बल्कि कोई टूटा तारा था