बेटी क्यूं बणाई विधाता | हिंदी कविता Video

"बेटी क्यूं बणाई विधाता 04/08/2023 ई धरती पर लक्ष्मी पूजे, ई धरती पर दुर्गा पूजे । ई धरती पर नवराता म, हर दिन कन्या पूजे ।। जद वा बेटी गई सुरग म छाती भर कुरळाई । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।। घणी नाज़ सूं पाळी म्हाने, घणा कोड सूं राखी । मारा मायड़ बाप हमेशा, मनै फूल ज्यूं राखी ।। तोळा गुर्जर नाम राखियो, नरसिंहपुर रे माही । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।। बकरी चरावण घर सूं निकळी अपणा खेतां माही । भूखा नारड़ा दोळयू फरग्या,ज्यूं हिरणी क ताहीं ।। गळो भींचकर मार पटक दी, फिर इज्जत बिगड़ादी । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।। चारुमेर है तन का भूखा, ई जंगल क माही । अब तो निकळबो दोरो होग्यो, गांव गळी क माहीं । ई धरती पर फेर न आऊ, याही अरजी म्हारी । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई । 🖋️Dinesh Tiwari 🖋️ ©Dinesh Tiwari Dk "

बेटी क्यूं बणाई विधाता 04/08/2023 ई धरती पर लक्ष्मी पूजे, ई धरती पर दुर्गा पूजे । ई धरती पर नवराता म, हर दिन कन्या पूजे ।। जद वा बेटी गई सुरग म छाती भर कुरळाई । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।। घणी नाज़ सूं पाळी म्हाने, घणा कोड सूं राखी । मारा मायड़ बाप हमेशा, मनै फूल ज्यूं राखी ।। तोळा गुर्जर नाम राखियो, नरसिंहपुर रे माही । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।। बकरी चरावण घर सूं निकळी अपणा खेतां माही । भूखा नारड़ा दोळयू फरग्या,ज्यूं हिरणी क ताहीं ।। गळो भींचकर मार पटक दी, फिर इज्जत बिगड़ादी । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।। चारुमेर है तन का भूखा, ई जंगल क माही । अब तो निकळबो दोरो होग्यो, गांव गळी क माहीं । ई धरती पर फेर न आऊ, याही अरजी म्हारी । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई । 🖋️Dinesh Tiwari 🖋️ ©Dinesh Tiwari Dk

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