Dinesh Tiwari Dk

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आज का मुक्तक किसी की याद में हर पल ही मैं मदहोश रहता हूं । जमाना होश में जाने मगर बे'होश रहता हूं ।। जताना हक मेरा उनको बुरा लगने लगा जब से, किसी से कुछ नहीं कहता हूं अब खामोश रहता हूं ।। लेखक:- दिनेश तिवाड़ी 10/09/2023 ©Dinesh Tiwari Dk

#शायरी #intezar  आज का मुक्तक

किसी की याद में हर पल ही मैं मदहोश रहता हूं ।
जमाना होश में जाने मगर बे'होश रहता हूं ।।
जताना हक मेरा उनको बुरा लगने लगा जब से,
किसी से कुछ नहीं कहता हूं अब खामोश रहता हूं ।।

लेखक:- दिनेश तिवाड़ी
10/09/2023

©Dinesh Tiwari Dk

#intezar

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#intezar  आज का मुक्तक

किसी की याद में हरपल ही मैं मदहोश रहता हूं ।
जमाना होश में जाने मगर बे'होश रहता हूं ।।
जताना हक मेरा उनको बुरा लगने लगा जब से,
किसी से कुछ नहीं कहता हूं अब खामोश रहता हूं ।।

लेखक:- दिनेश तिवाड़ी
10/09/2023

©Dinesh Tiwari Dk

#intezar

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Shayri Of the Day चांद सितारे धवल चांदनी, रातें अच्छी लगती हैं। जैसे कोई वन‌ में कोयल, गाते अच्छी लगती हैं ।। जब से देखा है तुमको, दिल में इक तस्वीर बसी है, पास बैठकर पहले दिन की बातें अच्छी लगती हैं।। लेखक:- दिनेश तिवाड़ी 12/08/2023 ©Dinesh Tiwari Dk

#कविता #Relationship  Shayri Of the Day


चांद सितारे धवल चांदनी, रातें अच्छी लगती हैं।
 जैसे कोई वन‌ में कोयल, गाते अच्छी लगती हैं ।।
जब से देखा है तुमको, दिल में इक तस्वीर बसी है, 
पास बैठकर पहले दिन की बातें अच्छी लगती हैं।।

लेखक:- दिनेश तिवाड़ी
12/08/2023

©Dinesh Tiwari Dk

#Relationship

11 Love

बेटी क्यूं बणाई विधाता 04/08/2023 ई धरती पर लक्ष्मी पूजे, ई धरती पर दुर्गा पूजे । ई धरती पर नवराता म, हर दिन कन्या पूजे ।। जद वा बेटी गई सुरग म छाती भर कुरळाई । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।। घणी नाज़ सूं पाळी म्हाने, घणा कोड सूं राखी । मारा मायड़ बाप हमेशा, मनै फूल ज्यूं राखी ।। तोळा गुर्जर नाम राखियो, नरसिंहपुर रे माही । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।। बकरी चरावण घर सूं निकळी अपणा खेतां माही । भूखा नारड़ा दोळयू फरग्या,ज्यूं हिरणी क ताहीं ।। गळो भींचकर मार पटक दी, फेर उठाकर लेग्या। काट काटकर टुकड़ा सारा, भट्टी माही फेक्या । दुनिया बळती सारा देख:, मू खुद न बळती देखी । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।। चारुमेर है तन का भूखा, ई जंगल क माही । अब तो निकळबो दोरो होग्यो, गांव गळी क माहीं । ई धरती पर फेर न आऊ, याही अरजी म्हारी । बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई । 🖋️ Dinesh Tiwari 🖋️ ©Dinesh Tiwari Dk

#कविता #save_girls  बेटी क्यूं बणाई विधाता
                                                         04/08/2023

ई धरती पर लक्ष्मी पूजे, ई धरती पर दुर्गा पूजे ।
ई धरती पर नवराता म, हर दिन कन्या पूजे ।।
जद वा बेटी गई सुरग म छाती भर कुरळाई ।
बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।।


घणी नाज़ सूं पाळी म्हाने, घणा कोड सूं राखी ।
मारा मायड़ बाप हमेशा, मनै फूल ज्यूं राखी ।। 
तोळा गुर्जर नाम राखियो, नरसिंहपुर रे माही ।
बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।।

बकरी चरावण घर सूं निकळी अपणा खेतां माही ।
भूखा नारड़ा दोळयू फरग्या,ज्यूं हिरणी क ताहीं ।।
गळो भींचकर मार पटक दी, फेर उठाकर लेग्या।
काट काटकर टुकड़ा सारा, भट्टी माही फेक्या ।
दुनिया बळती सारा देख:, मू खुद न बळती देखी ।
बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।।

चारुमेर है तन का भूखा, ई जंगल क माही ।
अब तो निकळबो दोरो होग्यो, गांव गळी क माहीं ।
ई धरती पर फेर न आऊ, याही अरजी म्हारी ।
बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।

🖋️ Dinesh Tiwari 🖋️

©Dinesh Tiwari Dk

#save_girls

12 Love

#कविता  बेटी क्यूं बणाई विधाता
                                                    04/08/2023

ई धरती पर लक्ष्मी पूजे, ई धरती पर दुर्गा पूजे ।
ई धरती पर नवराता म, हर दिन कन्या पूजे ।।
जद वा बेटी गई सुरग म छाती भर कुरळाई ।
बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।।


घणी नाज़ सूं पाळी म्हाने, घणा कोड सूं राखी ।
मारा मायड़ बाप हमेशा, मनै फूल ज्यूं राखी ।। 
तोळा गुर्जर नाम राखियो, नरसिंहपुर रे माही ।
बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।।

बकरी चरावण घर सूं निकळी अपणा खेतां माही ।
भूखा नारड़ा दोळयू फरग्या,ज्यूं हिरणी क ताहीं ।।
गळो भींचकर मार पटक दी, फिर इज्जत बिगड़ादी ।
बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।।

चारुमेर है तन का भूखा, ई जंगल क माही ।
अब तो निकळबो दोरो होग्यो, गांव गळी क माहीं ।
ई धरती पर फेर न आऊ, याही अरजी म्हारी ।
बेटी क्यूं बणाई विधाता, बेटी क्यूं बणाई ।

🖋️Dinesh Tiwari 🖋️

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बातां कर हिवड़ा की चौखी बातां । अठी उठी की होगी बातां ।। धन क खातर दर दर दौड़्यो, थारी म्हारी यांही बातां । सगळी बात बजन म केहणी, मत करज्ये तू थोथी बातां । भला बुरा की चर्चा होसी, जग म बस रेह जासी बातां । बोली का तीरया ना दिखे, घायल करदे तीखी बातां । कवि दिनेश या बात लिख्ह, कागद का पन्ना पर बातां । Writer Dinesh Tiwari 02/0872022 ©Dinesh Tiwari Dk

#शायरी  बातां

कर हिवड़ा की चौखी बातां ।
अठी उठी की होगी बातां ।।

धन क खातर दर दर दौड़्यो,
थारी म्हारी यांही बातां ।

सगळी बात बजन म केहणी,
मत करज्ये तू थोथी बातां ।

भला बुरा की चर्चा होसी,
जग म बस रेह जासी बातां ।

बोली का तीरया ना दिखे,
घायल करदे तीखी बातां ।

कवि दिनेश या बात लिख्ह,
कागद का पन्ना पर बातां ।

Writer Dinesh Tiwari
02/0872022

©Dinesh Tiwari Dk

बातां

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