"White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग30) में आपका स्वागत है!
कर्मचारी-यह सब लाने की क्या जरूरत था !
नंदू- प्रफुल्लित होकर एक गलाश में चाय और प्लेट में पकौड़ा लेकर कर्मचारी के आगे बढ़ाते हुए ,लीजिए इतना ही हो पाया!
नंदू अभी खाट पर बैठना ही चाह रहा था,तभी बाहर से एक औरत की आवाज आती है,
नंदू बेटे... ओ नंदू बेटे...?
नंदू दरवाजे की ओर बढ़ते हुए ,जी आंटी जी ...!
औरत- नंदू बेटे देखो ना लाइट जलते जलते बंद हो गया मालूम नहीं क्या हो गया है!
नंदू -ठीक है चलिए मैं आ रहा हूं!
नंदू कर्मचारी को थोड़ी देर ठहरने का आग्रह करते हुए,कमरे से बाहर के तरफ चल देता है!
©writer Ramu kumar
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