White मंजिल का ख्वाब, और चलती हवा दर्द थे कयी, पर | हिंदी शायरी

"White मंजिल का ख्वाब, और चलती हवा दर्द थे कयी, पर ना थी कोई दवा पहला था इश्क़, पर ना थी वफ़ा कभी कभी प्यार, तो कभी खफ़ा कोई नहीं समझता, लगता हर दफा मंजिल का ख्वाब, और चलती हवा ©loveindia2920"

 White मंजिल का ख्वाब, और चलती हवा
दर्द थे कयी, पर ना थी कोई दवा
पहला था इश्क़, पर ना थी वफ़ा
कभी कभी प्यार, तो कभी खफ़ा
कोई नहीं समझता, लगता हर दफा
मंजिल का ख्वाब, और चलती हवा

©loveindia2920

White मंजिल का ख्वाब, और चलती हवा दर्द थे कयी, पर ना थी कोई दवा पहला था इश्क़, पर ना थी वफ़ा कभी कभी प्यार, तो कभी खफ़ा कोई नहीं समझता, लगता हर दफा मंजिल का ख्वाब, और चलती हवा ©loveindia2920

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