White पत्थर मोम हुए हैं लोहा पिघल रहा है, सूरज के | हिंदी शायरी

"White पत्थर मोम हुए हैं लोहा पिघल रहा है, सूरज के उजाले अंधेरा निगल रहा है। खून पसीना बहाना ठीक था; लेकिन! ऐसी मशक्कत कि दम निकल रहा है। ©एस पी "हुड्डन""

 White पत्थर मोम हुए हैं लोहा पिघल रहा है,
सूरज के उजाले अंधेरा निगल रहा है।
खून पसीना बहाना  ठीक था; लेकिन!
ऐसी मशक्कत कि दम निकल रहा है।

©एस पी "हुड्डन"

White पत्थर मोम हुए हैं लोहा पिघल रहा है, सूरज के उजाले अंधेरा निगल रहा है। खून पसीना बहाना ठीक था; लेकिन! ऐसी मशक्कत कि दम निकल रहा है। ©एस पी "हुड्डन"

#मशक्कत

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