शहरों में चौराहों पर तो यहां खासी गज़ब की भीड़ है
लोगों के दिलों में देखो किस कदर की गहरी वीरानी है
कहाँ हैं वो लोग जो मिल कर ह॔सते थे , गले लगते थे
आज तो लगता है कि खुल कर मुस्कुराना भी बेइमानी है
आओ कि फिर से मुहब्बत को दिलों तक लाने का इंतजाम करें
यही तो ऐ मेरे अजीज यहाँ पहली जरूरत ए जिन्दगानी है
चलो कुछएक क़ैद परिंदो को रिहाई देदें , उनकी परवाजों को आज़ाद करें
जिनके पंखों के नीचे है ये दुनिया है और मंज़िल भी आसमानी है
#इबारत