तेज़ भगति रफ़्तार वाली Train से मैं रफ़्तार वाले शहर से दूर
मस्त-मौला Passenger Train जैसी Speed में चलने वाले शहर से कुछ ही दूर थी।
या कहे तो बहुत पास थी मैं, अपने शहर
बनारस से।।
धीरे चलती है, तेज़ भागने की ज़िद नही है इसमें।
सुकून है।।
यहाँ उतारते ही लगा की सब कुछ तो यही था।
ना जाने क्या ढूंढने चले थे।।
बहुत प्यार है इस शहर से, और तुमसे भी।।
तेज़ बहती गंगा में कुछ खामोश सा है।
ना जाने क्यों कुछ अधूरा सा है।।
कुल्हड़ में चखते मलइयो का स्वाद जाना पहचाना सा है।
फिर भी कुछ अधूरा सा है।।
सुबह की धुंध में कुछ यादों का बसेरा है।
अँधेरा घाना है,पर हुआ तो सवेरा है।
पंखुड़ियों पे मुस्कुराते ओस से हो तुम।
सब ख़बर है, फिर भी ख़ामोश से हो तुम।।
#Nojotovoice