बरसने पर उतारू हैं, उधर धूप की जिद है . . . उसे अं | हिंदी शायरी

"बरसने पर उतारू हैं, उधर धूप की जिद है . . . उसे अंगडाई लेनी है! ©Arun pradhan"

 बरसने पर उतारू हैं, उधर धूप की जिद है
. . . उसे अंगडाई लेनी है!

©Arun pradhan

बरसने पर उतारू हैं, उधर धूप की जिद है . . . उसे अंगडाई लेनी है! ©Arun pradhan

#badal

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