जीत के जहान को भी
मैंने ये बाजी हारी है
क्योंकि अपनी जीत से ज्यादा
मुझे तेरी मुस्कान प्यारी है
बता ज़रा अब किस दर जाऊं
अपना दर्द बताने को
तू छोड़ मुझे जो चला गया
दुनिया अपनी बसाने को
सब कहते मेरे शहर में मुझको
ये तो बेचारी है
जीत के जहान को भी
मैंने ये बाज़ी हारी है
©Kavita Vijaywargiya
#जीत