अब समय बहुत कम है जज्बात बहुत बाकी है
हर साल की तरह यह साल भी बीत जायेगा
वो कहते थे हम तुम्हें बहुत समय से जानते है
शायद अब समय और मिलना दोनों बदल जायेगा
क्या इस साल भी मैं उदासी को हाथ लगाऊंगा
इस सवाल का जवाब मैं उससे माँगना चाहूँगा
---- Dev ( देवेंद्र मिश्र)
#First