हज़ार कविता सुनाकर भी तुम्हें हम अपना ना बना सके
उसने एक गिटार की धुन क्या सुनाई तुम्हे उसे अपना दिल दे बैठी
किसी ने कहा है कि पहली मोहब्बत मुकम्मल नही हुआ करती
पर यह भी हम जानते है कि कोशिश करने वालो की हार नही होती
अब समय बहुत कम है जज्बात बहुत बाकी है
हर साल की तरह यह साल भी बीत जायेगा
वो कहते थे हम तुम्हें बहुत समय से जानते है
शायद अब समय और मिलना दोनों बदल जायेगा
क्या इस साल भी मैं उदासी को हाथ लगाऊंगा
इस सवाल का जवाब मैं उससे माँगना चाहूँगा
---- Dev ( देवेंद्र मिश्र)
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here