कोशिश
कि यादें कभी मिटाई नहीं जाती,
ये बातें यूंही बताई नहीं जाती,
सामना भी करना पड़ता है मुश्किलों का,
यूंही मंज़िले दिखाई नहीं जाती,
महफ़िले यूंही नहीं सजाई जाती,
रोनके यूंही नहीं बढ़ाई जाती,
मेहनत भी करना पड़ता है यहां तक आने के लिए,
यूंही ये तालियां नहीं बजाई जाती,
यूंही ये ग़ज़लें नहीं गाई जाती,
यूंही ये कविताएं नहीं बनाई जाती,
लिखना और सोचना भी पड़ता है,
एक लेखक बनने के लिए,
यूंही ये क़लमकार की उपाधि नहीं दी जाती,
कि हौसलों की उड़ान यूं ही नहीं दिखाई जाती,
कश्ती को हर बार पतवार नहीं लगाई जाती,
कभी कभी खुद भी कदम बढ़ाना पड़ता है,
आगे बढ़ने के लिए,
यूंही हर बार सफलता नहीं मिल जाती।
©Shivam kumar poetry lover
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