White स्मृति स्पष्ट वेदनाएं उतर रहीं मेरे नयनों | हिंदी Poetry

"White स्मृति स्पष्ट वेदनाएं उतर रहीं मेरे नयनों के अश्क से।  तेरे जुल्फों में वो छांव कहां, शीतलता की थाह जो ढूंढी थी मैंने। मृत्यु समीप आ जाती रही  आंखे पथराई तेरे मृदुचाल से; मेरे जुनून में कोई फरिश्ता नहीं,  पर कठोरता में तेरी नादानी ढूंढी थी मैने। तिमिर नहीं मीरा-सा विरह; कभी जला कहां कोई मीरा बनकर। प्रेम में अमृत का भाव था लिए; अब समंदर में प्रेम की अग्नि लगा दी है। ©Saurav life"

 White स्मृति


स्पष्ट वेदनाएं उतर रहीं
मेरे नयनों के अश्क से। 
तेरे जुल्फों में वो छांव कहां,
शीतलता की थाह जो ढूंढी थी मैंने।


मृत्यु समीप आ जाती रही 
आंखे पथराई तेरे मृदुचाल से;
मेरे जुनून में कोई फरिश्ता नहीं, 
पर कठोरता में तेरी नादानी ढूंढी थी मैने।


तिमिर नहीं मीरा-सा विरह;
कभी जला कहां कोई मीरा बनकर।
प्रेम में अमृत का भाव था लिए;
अब समंदर में प्रेम की अग्नि लगा दी है।

©Saurav life

White स्मृति स्पष्ट वेदनाएं उतर रहीं मेरे नयनों के अश्क से।  तेरे जुल्फों में वो छांव कहां, शीतलता की थाह जो ढूंढी थी मैंने। मृत्यु समीप आ जाती रही  आंखे पथराई तेरे मृदुचाल से; मेरे जुनून में कोई फरिश्ता नहीं,  पर कठोरता में तेरी नादानी ढूंढी थी मैने। तिमिर नहीं मीरा-सा विरह; कभी जला कहां कोई मीरा बनकर। प्रेम में अमृत का भाव था लिए; अब समंदर में प्रेम की अग्नि लगा दी है। ©Saurav life

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