White स्मृति
स्पष्ट वेदनाएं उतर रहीं
मेरे नयनों के अश्क से।
तेरे जुल्फों में वो छांव कहां,
शीतलता की थाह जो ढूंढी थी मैंने।
मृत्यु समीप आ जाती रही
आंखे पथराई तेरे मृदुचाल से;
मेरे जुनून में कोई फरिश्ता नहीं,
पर कठोरता में तेरी नादानी ढूंढी थी मैने।
तिमिर नहीं मीरा-सा विरह;
कभी जला कहां कोई मीरा बनकर।
प्रेम में अमृत का भाव था लिए;
अब समंदर में प्रेम की अग्नि लगा दी है।
©Saurav life
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