मानहानी की अर्ज़ी अदालत मे लगाई है। पेशकार ने बिना | हिंदी Poetry

"मानहानी की अर्ज़ी अदालत मे लगाई है। पेशकार ने बिना जी-जनाब, नाम से आवाज़ लगाई है। खड़े है रुसवा होकर, सर झुकाएँ अदालत मे। जनाब ने हैसियत की रिपोर्ट मँगवायी है। Yusuf dehlvi ©Yusuf Dehlvi"

 मानहानी की अर्ज़ी अदालत मे लगाई है।
पेशकार ने बिना जी-जनाब, नाम से आवाज़ लगाई है।

खड़े है रुसवा होकर, सर झुकाएँ अदालत मे। 

जनाब ने हैसियत की रिपोर्ट मँगवायी है।

Yusuf dehlvi

©Yusuf Dehlvi

मानहानी की अर्ज़ी अदालत मे लगाई है। पेशकार ने बिना जी-जनाब, नाम से आवाज़ लगाई है। खड़े है रुसवा होकर, सर झुकाएँ अदालत मे। जनाब ने हैसियत की रिपोर्ट मँगवायी है। Yusuf dehlvi ©Yusuf Dehlvi

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