White
अनकही प्रीत
प्रेम की परिभाषा में, शादी का अध्याय नहीं, रुक्मिणी बनी जीवनसाथी, पर राधा कहीं खोई नहीं।
एक थी रसम की बंधन, एक थी मन की पुकार, द्वारका में बसा घर, वृंदावन में बसा प्यार।
बंसी की धुन में थी वो, जो कभी मिली नहीं, पर जीवन की राह में, साथ चली वही।
प्रेम और विवाह के, दो अलग किनारे, एक में बहा जीवन, एक में बसे सहारे।
©UNCLE彡RAVAN
#Sad_Status