जज्बात की दबती हुई आवाज सा क्यूं है।। हर शख्स ही म | हिंदी कविता

"जज्बात की दबती हुई आवाज सा क्यूं है।। हर शख्स ही मिला यहां नाराज़ सा क्यूं है।। रिस रिस के सारे आंख से यूं ख्वाब बह गए। सदियों से दिल में दर्द का आघात सा क्यूं है।। बातें भी मुहाबत की अब गुनाह हो गईं। दिलों में नफरतों भरा आगार सा क्यूं है।। है प्यार की तलाश में नफरत को पालकर। इंसान बन गया उलझते राज सा क्यूं है। है बेवफा ये जिन्दगी इक पल नहीं यकीं। लेके गुनाहों का चला ये भार सा क्यूं है।। बांटे हैं सुरभि अपने अपने राग में खुदा। दिल पाक इवादात में भी नापाक सा क्यूं है।। ©रिंकी कमल रघुवंशी "सुरभि""

 जज्बात की दबती हुई आवाज सा क्यूं है।।
हर शख्स ही मिला यहां नाराज़ सा क्यूं है।।

रिस रिस के सारे आंख से यूं ख्वाब बह गए।
सदियों से दिल में दर्द का आघात सा क्यूं है।।

बातें भी मुहाबत की अब गुनाह हो गईं।
दिलों में नफरतों भरा आगार सा क्यूं है।।

है प्यार की तलाश में नफरत को पालकर।
इंसान बन गया उलझते राज सा क्यूं है।

है बेवफा ये जिन्दगी इक पल नहीं यकीं।
लेके गुनाहों का चला ये भार सा क्यूं है।।

बांटे हैं सुरभि अपने अपने राग में खुदा।
दिल पाक इवादात में भी नापाक सा क्यूं है।।

©रिंकी कमल रघुवंशी "सुरभि"

जज्बात की दबती हुई आवाज सा क्यूं है।। हर शख्स ही मिला यहां नाराज़ सा क्यूं है।। रिस रिस के सारे आंख से यूं ख्वाब बह गए। सदियों से दिल में दर्द का आघात सा क्यूं है।। बातें भी मुहाबत की अब गुनाह हो गईं। दिलों में नफरतों भरा आगार सा क्यूं है।। है प्यार की तलाश में नफरत को पालकर। इंसान बन गया उलझते राज सा क्यूं है। है बेवफा ये जिन्दगी इक पल नहीं यकीं। लेके गुनाहों का चला ये भार सा क्यूं है।। बांटे हैं सुरभि अपने अपने राग में खुदा। दिल पाक इवादात में भी नापाक सा क्यूं है।। ©रिंकी कमल रघुवंशी "सुरभि"

#गजल

#wait

People who shared love close

More like this

Trending Topic