White ज़मीं हरसी गगन हरसा, गरज सावन-सघन बरसा नयन बर | हिंदी शायरी

"White ज़मीं हरसी गगन हरसा, गरज सावन-सघन बरसा नयन बरसे जो विरहन के तो कवि-मन छंद बन बरसा हुई अबके बरस है फिर वही ख़ुदरंग-सी बारिश― कहीं पे कमसिनी बरसी,कहीं है बाँकपन बरसा ©Ghumnam Gautam"

 White ज़मीं हरसी गगन हरसा, गरज सावन-सघन बरसा
नयन बरसे जो विरहन के तो कवि-मन छंद बन बरसा
हुई अबके बरस है फिर वही ख़ुदरंग-सी बारिश―
कहीं पे कमसिनी बरसी,कहीं है बाँकपन बरसा

©Ghumnam Gautam

White ज़मीं हरसी गगन हरसा, गरज सावन-सघन बरसा नयन बरसे जो विरहन के तो कवि-मन छंद बन बरसा हुई अबके बरस है फिर वही ख़ुदरंग-सी बारिश― कहीं पे कमसिनी बरसी,कहीं है बाँकपन बरसा ©Ghumnam Gautam

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