White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 52) में आपका स्वागत है!
शिखा वहीं से बोलती हैं,कोई बात नहीं शाम को लेते आइएगा,
शिखा चौराहे के मोड़ पर पहुंच कर एक बार नंदू के क्वार्टर के तरफ देखती है! नंदू अपने दरवाजे पर खड़ा था! और उसी के तरफ देख रहा था! शिखा वहीं रुक जाती है,और अपने दोनों हाथ ऊपर करके नंदू के तरफ इशारा करती हुई ,अंदर चले जाने के लिए बोलती हैं, नंदू को कुछ भी समझ नहीं आता ,आखिर हाथ ऊपर करके क्या बोल रही है! शायद हमें बुला रही हैं!इसीलिए दोनों हाथ ऊपर की है! नंदू वहां से सीधे शिखा के तरफ दौड़ते हुए चलने लगता है!
पास पहुंचकर - हां बताइए क्या बात है?
शिखा वहीं जोर जोर से हंसने लगती है!
नंदू घबरा जाता है ,और आश्चर्यचकित होकर एक टक लगाकर शिखा को निहारने लगता है! फीर सोचता है!
मैं तो कोई हंसने वाला बात बोला नहीं , ये तो बगैर मतलब हंसे जा रही है!
शिखा नंदू के सर पर हाथ से धक्का देती हुई,एकदम बुद्धू हैं आप!
नंदू- इसमें बुद्धू वाली कौन सी बात हुई,
आप बुलाएं मैं आ गया,
©writer Ramu kumar
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