ओ वक्त ही अलग था उस की अब बराबरी कहाँ उस मे तो लोग | हिंदी Shayari

"ओ वक्त ही अलग था उस की अब बराबरी कहाँ उस मे तो लोग होते थे पास दुरीया नहि थी जहाँ हस्ते थे मुस्कुरातें थे बैठकर वक्त गुजारते थे कोई रोता था तो उसे मनाने रोज कोई ना कोई आते थे आजकल ओ दौर नही क्यू की लोग तो रोते ही नही बस इमोजी शेअर करकर अपना दुःख बया करते है रिप्लाय तो बहुत आते है मगर पास आता कोई नही ओ जमाना अलग था ओ लोग अलग थे हस्ते थे खुद भी दूसरो को भी हसाते थेट ©Krishna Rathod"

 ओ वक्त ही अलग था उस की अब बराबरी कहाँ
उस मे तो लोग होते थे पास दुरीया नहि थी जहाँ
हस्ते थे मुस्कुरातें थे बैठकर वक्त गुजारते थे 
कोई रोता था तो उसे मनाने रोज कोई ना कोई आते थे 
आजकल ओ दौर नही क्यू की लोग तो रोते ही नही
बस इमोजी शेअर करकर अपना दुःख बया करते है 
रिप्लाय तो बहुत आते है मगर पास आता कोई नही
ओ जमाना अलग था ओ लोग अलग थे 
हस्ते थे खुद भी दूसरो को भी हसाते थेट

©Krishna Rathod

ओ वक्त ही अलग था उस की अब बराबरी कहाँ उस मे तो लोग होते थे पास दुरीया नहि थी जहाँ हस्ते थे मुस्कुरातें थे बैठकर वक्त गुजारते थे कोई रोता था तो उसे मनाने रोज कोई ना कोई आते थे आजकल ओ दौर नही क्यू की लोग तो रोते ही नही बस इमोजी शेअर करकर अपना दुःख बया करते है रिप्लाय तो बहुत आते है मगर पास आता कोई नही ओ जमाना अलग था ओ लोग अलग थे हस्ते थे खुद भी दूसरो को भी हसाते थेट ©Krishna Rathod

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