"ये ज़िन्दगी चल तो रही थी पर, मृगनयनी सी चंचल आंखे,वो है हूर
बहुत कुछ है
सुंदरता में मूरत है वो,उसे गुरूर
बहुत कुछ है
एक उसे पाने की जिद में,जीवन
कितना बदल गया
सब कुछ पास संभाले रखा,फिर भी दूर
बहुत कुछ है
अर्पित अज्ञात
"
ये ज़िन्दगी चल तो रही थी पर, मृगनयनी सी चंचल आंखे,वो है हूर
बहुत कुछ है
सुंदरता में मूरत है वो,उसे गुरूर
बहुत कुछ है
एक उसे पाने की जिद में,जीवन
कितना बदल गया
सब कुछ पास संभाले रखा,फिर भी दूर
बहुत कुछ है
अर्पित अज्ञात