ہر ناکار ؤ ناکس کو آداب عرض ہے
ہر مفلس بے کس کو آداب عرض ہے
مشکل ہے بہت جینا اس دور حماکت میں
اس دور میں بے حس کو آداب عرض ہے
نمرود ہے پرور اور سورج کو دبوچے ہے
جگنو سی بھی کاوش کو آداب عرض ہے
نفرت کے خداؤں نے امبار لگایا ہے
ہمت کی ستائش کو آداب عرض ہے
آثار نہیں نفرت دنیہ کے ازالوں میں
چاہت کی نمایش کو آداب عرض ہے
ہر پیر پیمبر کو ہر سادھو کو مانا ہے
اس درجے کے ساحس کو آداب عرض ہے
ہم شاہ محبت ہیں ڈرتے نہیں شعلوں سے
ہر گام پہ آتش کو آداب عرض ہے
हर नाकार ओ नाकिस को आदाब अर्ज़ है
हर मुफ़लिसो बेकस को आदाब अर्ज़ है
मुश्किल है बहुत जीना इस दौरे हिमाक़त में
इस दौर में बेहिस को आदाब अर्ज़ है
नमरुद है परवर और सूरज को दबोचे है
जुगनु सी भी कोशिश को आदाब अर्ज़ है
नफ़रत के खु़दाओं ने अम्बार लगाया है
हिम्मत की सताइश को आदाब अर्ज़ है
आसार नहीं नफ़रत दुनिया के इजा़लों में
चाहत की नुमाइश को आदाब अर्ज़ है
हर पीर पयम्बर को हर साधू को माना है
इस दर्जे के साहस को आदाब अर्ज़ है
हम शाहे मुहब्बत हैं डरते नहीं शोअ़लों से
हर गाम पे आतिश को आदाब अर्ज़ है
शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी
©shah arghan
#urdu#Hindi#shayari#geet#ghazal#poetry
#leaf