shah arghan

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# geet # ghazal#hindi#urdu#kavita#poetry#poetry lovers

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अज़्म को लाओ चलो तोल के देखा जाए सच को इक बार सही बोल के देखा जाए लूटने आते हैं हाथों से मुक़दद् र कितने कुछ पतंगो की तरह डोल के देखा जाए मरहमे दिल के मिलेंगे यूं फ़साने कितने ज़र्द पन्नों को ज़रा खोल के देखा जाए नफ़रतें अश़्क़ ज़हर खा़र तनाजा़ माजी़ इश़्क़ फि़तरत में ज़रा घोल के देखा जाए शाह मुमकिन है ज़माने में इजा़ला इस से फाल दिल का भी चलो खोल के देखा जाए शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी ©shah arghan

#शायरी #Cassette #ghazal #kavita #Hindi  अज़्म को लाओ चलो तोल के देखा जाए
सच को इक बार सही बोल के देखा जाए

लूटने आते हैं हाथों से मुक़दद् र कितने
कुछ पतंगो की तरह डोल के देखा जाए

मरहमे दिल के मिलेंगे यूं फ़साने कितने
ज़र्द पन्नों को ज़रा खोल के देखा जाए

नफ़रतें अश़्क़ ज़हर खा़र तनाजा़ माजी़
इश़्क़ फि़तरत में ज़रा घोल के देखा जाए

शाह मुमकिन है ज़माने में इजा़ला इस से
फाल दिल का भी चलो खोल के देखा जाए

शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी

©shah arghan

عزم کو لاؤ چلو تول کے دیکھا جاے سچ کو اک بار سہی بول کے دیکھا جاے لوٹنے آتے ہیں ہاتھوں سے مقددر کتنے کچھ پتنگوں کی طرح ڈول کے دیکھا جاے مرحم دل کے ملیں گے یوں فسانے کتنے ذرد پننوں کو زرا کھول کے دیکھا جاے نفرتیں اشق زہر خار تنازع ماضی عشق فطرت میں زرا گھول کے دیکھا جاے شاہ ممکن ہے زمانے میں ازالہ اس سے فال دل کا چلو کھول کے دیکھا جاے अज़्म को लाओ चलो तोल के देखा जाए सच को इक बार सही बोल के देखा जाए लूटने आते हैं हाथों से मुक़दद् र कितने कुछ पतंगो की तरह डोल के देखा जाए मरहमे दिल के मिलेंगे यूं फ़साने कितने ज़र्द पन्नों को ज़रा खोल के देखा जाए नफ़रतें अश़्क़ ज़हर खा़र तनाजा़ माजी़ इश़्क़ फि़तरत में ज़रा घोल के देखा जाए शाह मुमकिन है ज़माने में इजा़ला इस से फाल दिल का भी चलो खोल के देखा जाए शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी ©shah arghan

#शायरी #Cassette #ghazal #kavita #Hindi  عزم کو لاؤ چلو تول کے دیکھا جاے
سچ کو اک بار سہی بول کے دیکھا جاے

لوٹنے آتے ہیں ہاتھوں سے مقددر کتنے
کچھ پتنگوں کی طرح ڈول کے دیکھا جاے

مرحم دل کے ملیں گے یوں فسانے کتنے
ذرد پننوں کو زرا کھول کے دیکھا جاے

نفرتیں اشق زہر خار تنازع ماضی
عشق فطرت میں زرا گھول کے دیکھا جاے

شاہ ممکن ہے زمانے میں ازالہ اس سے
فال دل کا چلو کھول کے دیکھا جاے


अज़्म को लाओ चलो तोल के देखा जाए
सच को इक बार सही बोल के देखा जाए

लूटने आते हैं हाथों से मुक़दद् र कितने
कुछ पतंगो की तरह डोल के देखा जाए

मरहमे दिल के मिलेंगे यूं फ़साने कितने
ज़र्द पन्नों को ज़रा खोल के देखा जाए

नफ़रतें अश़्क़ ज़हर खा़र तनाजा़ माजी़
इश़्क़ फि़तरत में ज़रा घोल के देखा जाए

शाह मुमकिन है ज़माने में इजा़ला इस से
फाल दिल का भी चलो खोल के देखा जाए

शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी

©shah arghan

ماں تو شیرین زباں جان حلب ہوتی ہے ماں تو ایماں کا سبق اور ادب ہوتی ہے ماں جو زہرا سی ہو جنت رہے پیروں میں بسی ماں جو والی ہو تو زم زم کا سبب ہوتی ہے मां तो शीरीने ज़बां जाने हलब होती है मां तो ईमां का सबक़ और अदब होती है मां जो ज़हरा सी हो जन्नत रहे पैरों में बसी मां जो वाली हो तो ज़म ज़म का सबब होती है शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी ©shah arghan

#शायरी #ghazal #kavita #Starss #Hindi  ماں تو شیرین زباں جان حلب ہوتی ہے 
ماں تو ایماں کا سبق اور ادب ہوتی ہے
 ماں جو زہرا سی ہو جنت رہے پیروں میں بسی
ماں جو والی ہو تو زم زم کا سبب ہوتی ہے

मां तो शीरीने ज़बां जाने हलब होती है
मां तो ईमां का सबक़ और अदब होती है
मां जो ज़हरा सी हो जन्नत रहे पैरों में बसी
मां जो वाली हो तो ज़म ज़म का सबब होती है

शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी

©shah arghan

ہر ناکار ؤ ناکس کو آداب عرض ہے ہر مفلس بے کس کو آداب عرض ہے مشکل ہے بہت جینا اس دور حماکت میں اس دور میں بے حس کو آداب عرض ہے نمرود ہے پرور اور سورج کو دبوچے ہے جگنو سی بھی کاوش کو آداب عرض ہے نفرت کے خداؤں نے امبار لگایا ہے ہمت کی ستائش کو آداب عرض ہے آثار نہیں نفرت دنیہ کے ازالوں میں چاہت کی نمایش کو آداب عرض ہے ہر پیر پیمبر کو ہر سادھو کو مانا ہے اس درجے کے ساحس کو آداب عرض ہے ہم شاہ محبت ہیں ڈرتے نہیں شعلوں سے ہر گام پہ آتش کو آداب عرض ہے हर नाकार ओ नाकिस को आदाब अर्ज़ है हर मुफ़लिसो बेकस को आदाब अर्ज़ है मुश्किल है बहुत जीना इस दौरे हिमाक़त में इस दौर में बेहिस को आदाब अर्ज़ है नमरुद है परवर और सूरज को दबोचे है जुगनु सी भी कोशिश को आदाब अर्ज़ है नफ़रत के खु़दाओं ने अम्बार लगाया है हिम्मत की सताइश को आदाब अर्ज़ है आसार नहीं नफ़रत दुनिया के इजा़लों में चाहत की नुमाइश को आदाब अर्ज़ है हर पीर पयम्बर को हर साधू को माना है इस दर्जे के साहस को आदाब अर्ज़ है हम शाहे मुहब्बत हैं डरते नहीं शोअ़लों से हर गाम पे आतिश को आदाब अर्ज़ है शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी ©shah arghan

#शायरी #ghazal #Hindi #leaf #urdu  ہر ناکار ؤ ناکس کو آداب عرض ہے
ہر مفلس بے کس کو آداب عرض ہے

مشکل ہے بہت جینا اس دور حماکت میں
اس دور میں بے حس کو آداب عرض ہے

نمرود ہے پرور اور سورج کو دبوچے ہے
جگنو سی بھی کاوش کو آداب عرض ہے

 نفرت کے خداؤں نے امبار لگایا ہے
ہمت کی ستائش کو آداب عرض ہے

آثار نہیں نفرت دنیہ کے ازالوں میں
چاہت کی نمایش کو آداب عرض ہے

ہر پیر پیمبر کو ہر سادھو کو مانا ہے
اس درجے کے ساحس کو آداب عرض ہے

ہم شاہ محبت ہیں ڈرتے نہیں شعلوں سے
ہر گام پہ آتش کو آداب عرض ہے

हर नाकार ओ नाकिस को आदाब अर्ज़ है
हर मुफ़लिसो बेकस को आदाब अर्ज़ है

मुश्किल है बहुत जीना इस दौरे हिमाक़त में
इस दौर में बेहिस को आदाब अर्ज़ है

नमरुद है परवर और सूरज को दबोचे है
जुगनु सी भी कोशिश को आदाब अर्ज़ है

नफ़रत के खु़दाओं ने अम्बार लगाया है
हिम्मत की सताइश को आदाब अर्ज़ है

आसार नहीं नफ़रत दुनिया के इजा़लों में
चाहत की नुमाइश को आदाब अर्ज़ है

हर पीर पयम्बर को हर साधू को माना है
इस दर्जे के साहस को आदाब अर्ज़ है

हम शाहे मुहब्बत हैं डरते नहीं शोअ़लों से
हर गाम पे आतिश को आदाब अर्ज़ है

शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी

©shah arghan

#urdu#Hindi#shayari#geet#ghazal#poetry #leaf

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चलो हम साथ चलते हैं ©shah arghan

#कविता #shaadi  चलो हम साथ चलते हैं

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