English
perfumer
shah arghan
67 View
अज़्म को लाओ चलो तोल के देखा जाए सच को इक बार सही बोल के देखा जाए लूटने आते हैं हाथों से मुक़दद् र कितने कुछ पतंगो की तरह डोल के देखा जाए मरहमे दिल के मिलेंगे यूं फ़साने कितने ज़र्द पन्नों को ज़रा खोल के देखा जाए नफ़रतें अश़्क़ ज़हर खा़र तनाजा़ माजी़ इश़्क़ फि़तरत में ज़रा घोल के देखा जाए शाह मुमकिन है ज़माने में इजा़ला इस से फाल दिल का भी चलो खोल के देखा जाए शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी ©shah arghan
8 Love
عزم کو لاؤ چلو تول کے دیکھا جاے سچ کو اک بار سہی بول کے دیکھا جاے لوٹنے آتے ہیں ہاتھوں سے مقددر کتنے کچھ پتنگوں کی طرح ڈول کے دیکھا جاے مرحم دل کے ملیں گے یوں فسانے کتنے ذرد پننوں کو زرا کھول کے دیکھا جاے نفرتیں اشق زہر خار تنازع ماضی عشق فطرت میں زرا گھول کے دیکھا جاے شاہ ممکن ہے زمانے میں ازالہ اس سے فال دل کا چلو کھول کے دیکھا جاے अज़्म को लाओ चलो तोल के देखा जाए सच को इक बार सही बोल के देखा जाए लूटने आते हैं हाथों से मुक़दद् र कितने कुछ पतंगो की तरह डोल के देखा जाए मरहमे दिल के मिलेंगे यूं फ़साने कितने ज़र्द पन्नों को ज़रा खोल के देखा जाए नफ़रतें अश़्क़ ज़हर खा़र तनाजा़ माजी़ इश़्क़ फि़तरत में ज़रा घोल के देखा जाए शाह मुमकिन है ज़माने में इजा़ला इस से फाल दिल का भी चलो खोल के देखा जाए शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी ©shah arghan
ماں تو شیرین زباں جان حلب ہوتی ہے ماں تو ایماں کا سبق اور ادب ہوتی ہے ماں جو زہرا سی ہو جنت رہے پیروں میں بسی ماں جو والی ہو تو زم زم کا سبب ہوتی ہے मां तो शीरीने ज़बां जाने हलब होती है मां तो ईमां का सबक़ और अदब होती है मां जो ज़हरा सी हो जन्नत रहे पैरों में बसी मां जो वाली हो तो ज़म ज़म का सबब होती है शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी ©shah arghan
13 Love
ہر ناکار ؤ ناکس کو آداب عرض ہے ہر مفلس بے کس کو آداب عرض ہے مشکل ہے بہت جینا اس دور حماکت میں اس دور میں بے حس کو آداب عرض ہے نمرود ہے پرور اور سورج کو دبوچے ہے جگنو سی بھی کاوش کو آداب عرض ہے نفرت کے خداؤں نے امبار لگایا ہے ہمت کی ستائش کو آداب عرض ہے آثار نہیں نفرت دنیہ کے ازالوں میں چاہت کی نمایش کو آداب عرض ہے ہر پیر پیمبر کو ہر سادھو کو مانا ہے اس درجے کے ساحس کو آداب عرض ہے ہم شاہ محبت ہیں ڈرتے نہیں شعلوں سے ہر گام پہ آتش کو آداب عرض ہے हर नाकार ओ नाकिस को आदाब अर्ज़ है हर मुफ़लिसो बेकस को आदाब अर्ज़ है मुश्किल है बहुत जीना इस दौरे हिमाक़त में इस दौर में बेहिस को आदाब अर्ज़ है नमरुद है परवर और सूरज को दबोचे है जुगनु सी भी कोशिश को आदाब अर्ज़ है नफ़रत के खु़दाओं ने अम्बार लगाया है हिम्मत की सताइश को आदाब अर्ज़ है आसार नहीं नफ़रत दुनिया के इजा़लों में चाहत की नुमाइश को आदाब अर्ज़ है हर पीर पयम्बर को हर साधू को माना है इस दर्जे के साहस को आदाब अर्ज़ है हम शाहे मुहब्बत हैं डरते नहीं शोअ़लों से हर गाम पे आतिश को आदाब अर्ज़ है शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी ©shah arghan
7 Love
चलो हम साथ चलते हैं ©shah arghan
9 Love
You are not a Member of Nojoto with email
or already have account Login Here
Will restore all stories present before deactivation. It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Download App
Stories | Poetry | Experiences | Opinion
कहानियाँ | कविताएँ | अनुभव | राय
Continue with
Download the Nojoto Appto write & record your stories!
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here