खुशी के बादल जब गरजे तो उम्मिदों की लहर आई और जब द
"खुशी के बादल जब गरजे तो उम्मिदों की लहर आई और जब दुख कि बिजली कड़कि तो आसमान को ताकतें चेहरों की आखै नम हुई।जब किसी का अनुसरण कर जी रही थी कुछ जिंदगिया तो दुख की वो बिजली आज उसी पर ही गिर गई।।"
खुशी के बादल जब गरजे तो उम्मिदों की लहर आई और जब दुख कि बिजली कड़कि तो आसमान को ताकतें चेहरों की आखै नम हुई।जब किसी का अनुसरण कर जी रही थी कुछ जिंदगिया तो दुख की वो बिजली आज उसी पर ही गिर गई।।