अगर ये लहरें बोल पातीं तो
मेरे कानों में ये कह जाती !
भले ही नदियों का पानी समुन्दर
में मिलकर बदल जाता है !
पर अपना वज़ूद कहाँ कोई भूल पाता है !
बहने की आदत ये पानी भूलता नहीं !
लहरों का उछलना कभी छूटता नहीं !
ए मेरे दोस्त ! तुम्हारा मन भी कुछ
यूं मचल जाएगा !
इन लहरों को छूकर तुम्हारा खोया
वज़ूद तुम्हें फिर मिल जाएगा !
©Jyotshna2000
#dryleaf