चाहे कर्म की टहनी पे झूठे फूल तुम रख लो फल तो य | हिंदी शायरी

"चाहे कर्म की टहनी पे झूठे फूल तुम रख लो फल तो यक़ीनन उसकी अदालत में मिलेंगे जीवन के बरगद के तने जानें कपट छल क्या जिस मिट्टी में उपजे हैं उसी सोहबत में मिलेंगे चुराई बूंद ने नज़रें तो फिर पत्थर हुई मिट्टी सावन के प्यासे खेत बग़ावत में मिलेंगे कहीं हो प्यार की सच्ची कहानी चंद अफ़साने वो बच्चे सी उसी मासूमदिल चाहत में मिलेंगे -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal"

 चाहे कर्म की टहनी पे झूठे फूल तुम रख लो 
फल  तो  यक़ीनन  उसकी अदालत में मिलेंगे 

जीवन के बरगद के तने जानें कपट छल क्या 
जिस मिट्टी में उपजे हैं उसी सोहबत में मिलेंगे 

चुराई  बूंद ने  नज़रें तो फिर पत्थर हुई मिट्टी 
सावन  के प्यासे खेत  बग़ावत  में  मिलेंगे 

कहीं हो प्यार की सच्ची कहानी चंद अफ़साने 
वो बच्चे सी उसी मासूमदिल चाहत में मिलेंगे 
-सरिता मलिक बेरवाल

©Sarita Malik Berwal

चाहे कर्म की टहनी पे झूठे फूल तुम रख लो फल तो यक़ीनन उसकी अदालत में मिलेंगे जीवन के बरगद के तने जानें कपट छल क्या जिस मिट्टी में उपजे हैं उसी सोहबत में मिलेंगे चुराई बूंद ने नज़रें तो फिर पत्थर हुई मिट्टी सावन के प्यासे खेत बग़ावत में मिलेंगे कहीं हो प्यार की सच्ची कहानी चंद अफ़साने वो बच्चे सी उसी मासूमदिल चाहत में मिलेंगे -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal

#जीवनकाबरगद

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