चाहे कर्म की टहनी पे झूठे फूल तुम रख लो
फल तो यक़ीनन उसकी अदालत में मिलेंगे
जीवन के बरगद के तने जानें कपट छल क्या
जिस मिट्टी में उपजे हैं उसी सोहबत में मिलेंगे
चुराई बूंद ने नज़रें तो फिर पत्थर हुई मिट्टी
सावन के प्यासे खेत बग़ावत में मिलेंगे
कहीं हो प्यार की सच्ची कहानी चंद अफ़साने
वो बच्चे सी उसी मासूमदिल चाहत में मिलेंगे
-सरिता मलिक बेरवाल
©Sarita Malik Berwal
#जीवनकाबरगद