एक नज़्म अनजान हूँ इस सुनसान सड़क पे, खमोश हैं वादिय | English Poetry Vi

"एक नज़्म"

एक नज़्म

अनजान हूँ इस सुनसान सड़क पे,
खमोश हैं वादियाँ, पर ये शोर कैसा ?
रुक चुका उन हवाओं का रुख,
तो ये तूफान कैसा ?

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