अनजान हूँ इस सुनसान सड़क पे,
खमोश हैं वादियाँ, पर ये शोर कैसा ?
रुक चुका उन हवाओं का रुख,
तो ये तूफान कैसा ?
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हर इंसान कभी ना कभी कुछ गलतियों से गुजरता है, कुछ सिख देती हैं, तो कुछ सजा। मेरी ये पोएम कुछ इन्हीं बातों के इर्द गिर्द है।।
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