ज़रा सी भी आये ,अग़र याद उस की। शहर छोड़कर , पहली | हिंदी Shayari

"ज़रा सी भी आये ,अग़र याद उस की। शहर छोड़कर , पहली गाड़ी पकड़ना। कभी हाथ उसका , कि - यूँ भी बटाना। पटलियाँ बनाना , ओ साड़ी पकड़ना। ©Vikas Sharma " विचित्र ""

 ज़रा सी भी आये ,अग़र  याद  उस की।
शहर छोड़कर , पहली  गाड़ी पकड़ना।

कभी हाथ उसका , कि - यूँ भी बटाना।
पटलियाँ बनाना  , ओ  साड़ी पकड़ना।

©Vikas Sharma " विचित्र "

ज़रा सी भी आये ,अग़र याद उस की। शहर छोड़कर , पहली गाड़ी पकड़ना। कभी हाथ उसका , कि - यूँ भी बटाना। पटलियाँ बनाना , ओ साड़ी पकड़ना। ©Vikas Sharma " विचित्र "

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