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भारतीय रेलवे🚊 विचित्र कवि 🎤(हास्य एवं श्रृंगार रस) लेखक ✍️❣️ insta:-vikassharma7833 .contact:-8349850269
vikas sharma विचित्र
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हमारी निशानी में , शामिल न करना। नये-लब पेशानी में , शामिल न करना। मुहब्बत हमारी - यूँ , रखना सलामत। किसी को कहानी में ,शामिल न करना। *लब - होंठ *पेशानी- माथा ©Vikas Sharma " विचित्र "
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दबी आँख से - हम , उसे देखते हैं । बहुत खूबसूरत - जिसे देखते हैं । मिरी जां नज़र पे न , पहरा रखो तुम । बताकर कभी हम...किसे देखते हैं...? ©Vikas Sharma " विचित्र "
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ज़रा सी भी आये ,अग़र याद उस की। शहर छोड़कर , पहली गाड़ी पकड़ना। कभी हाथ उसका , कि - यूँ भी बटाना। पटलियाँ बनाना , ओ साड़ी पकड़ना। ©Vikas Sharma " विचित्र "
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