vikas sharma विचित्र

vikas sharma विचित्र Lives in Gwalior, Madhya Pradesh, India

भारतीय रेलवे🚊 विचित्र कवि 🎤(हास्य एवं श्रृंगार रस) लेखक ✍️❣️ insta:-vikassharma7833 .contact:-8349850269

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#vichitrashayar #motherhood  काजल लगा ले , तू  महंदी लगा ले।
मुमकिन हो उतनी , जल्दी लगा ले।


नटखट वो तेरा ,  छुटायेगा आकर।
माथे पे  झटपट ,  तू  बिंदी लगा ले।

©vikas sharma विचित्र
#विचित्र_ख़्याल #विचित्रशायरी #विचित्र #vichitraquotes #samay  जिस बुरे वक्त में किसी ने दोस्ती तक नही की।
उस एक - लड़की ने, हमसे- आशिक़ी कर ली।


आखिरी मुलाकात में तोहफा- कलम और घड़ी।
घड़ी जिन्दा रहे , सो-  कलम ने शायरी कर ली।

©vikas sharma विचित्र
#Quotes #sadak  
"अस्ल मर्द"
=======
सौ - क्रूर  हथियारबंदों  को हरा देने वाला 

 एक औरत की लाचारी और उसके आंसुओ के

 सामने धराशाई हो जाता है।

©vikas sharma

#sadak

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हमारी निशानी में , शामिल न करना। नये-लब पेशानी में , शामिल न करना। मुहब्बत हमारी - यूँ , रखना सलामत। किसी को कहानी में ,शामिल न करना। *लब - होंठ *पेशानी- माथा ©Vikas Sharma " विचित्र "

#विचित्र #vichitra #shayri #letter  हमारी  निशानी  में , शामिल न करना।

नये-लब पेशानी में , शामिल न करना।



मुहब्बत  हमारी - यूँ , रखना  सलामत।

किसी को कहानी में ,शामिल न करना।



*लब - होंठ

*पेशानी- माथा

©Vikas Sharma " विचित्र "

दबी आँख से - हम , उसे देखते हैं । बहुत खूबसूरत - जिसे देखते हैं । मिरी जां नज़र पे न , पहरा रखो तुम । बताकर कभी हम...किसे देखते हैं...? ©Vikas Sharma " विचित्र "

#विचित्र_शायरी #colours  दबी आँख  से  -  हम , उसे  देखते  हैं ।

बहुत    खूबसूरत  -    जिसे  देखते हैं ।



मिरी जां  नज़र पे न , पहरा रखो तुम ।

बताकर  कभी हम...किसे  देखते हैं...?

©Vikas Sharma " विचित्र "

ज़रा सी भी आये ,अग़र याद उस की। शहर छोड़कर , पहली गाड़ी पकड़ना। कभी हाथ उसका , कि - यूँ भी बटाना। पटलियाँ बनाना , ओ साड़ी पकड़ना। ©Vikas Sharma " विचित्र "

#विचित्र_ग्वालियर #विचित्र_शायरी #विचित्र_शेर #droplets #thought  ज़रा सी भी आये ,अग़र  याद  उस की।
शहर छोड़कर , पहली  गाड़ी पकड़ना।

कभी हाथ उसका , कि - यूँ भी बटाना।
पटलियाँ बनाना  , ओ  साड़ी पकड़ना।

©Vikas Sharma " विचित्र "
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