चलती जिंदगी ये जूझती रही टूटती बिखरती रही, बुलंद ह | मराठी Love

"चलती जिंदगी ये जूझती रही टूटती बिखरती रही, बुलंद हौसलों के साथ कुछ ऐसेही निखरती रही। खत्म होते-होते शुरू हो जाती है यूं कहीं से भी, ऐसे हर दिन नुरानी हुईनये रौनक से संवरती रही डा0 तारा सिंह अंशुल ©Dr Tara Singh Anshul"

 चलती जिंदगी ये जूझती रही टूटती बिखरती रही,
बुलंद हौसलों के साथ  कुछ ऐसेही निखरती रही।
खत्म होते-होते शुरू हो जाती है यूं कहीं से भी, 
ऐसे हर दिन नुरानी हुईनये रौनक से संवरती रही
 डा0 तारा सिंह अंशुल

©Dr Tara Singh Anshul

चलती जिंदगी ये जूझती रही टूटती बिखरती रही, बुलंद हौसलों के साथ कुछ ऐसेही निखरती रही। खत्म होते-होते शुरू हो जाती है यूं कहीं से भी, ऐसे हर दिन नुरानी हुईनये रौनक से संवरती रही डा0 तारा सिंह अंशुल ©Dr Tara Singh Anshul

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