Dr Tara Singh Anshul

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संप्रति / उपलब्धियां साहित्यिक गतिविधियां ड० तारा सिंह.अंशुल अंशुल साहित्यिक उपनाम विभिन्न सामानों से अलंकृत वरिष्ठ कवयित्री कथाकार आर्टिकल लेखिका एवं प्राकृतिक चिकित्सक डी०पी०ओ० ( सेवा नि०) महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ ( उत्तर प्रदेश) राजपत्रित अधिकारी विभाग महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ उत्तर प्रदेश शिक्षा - स्नातक राजनीति शास्त्र अंग्रेजी साहित्य समाजशास्त्र स्नातकोत्तर --- दो विषय से एम०ए० एम० ए० समाजशास्त्र में एम०ए० - प्राचीन इतिहास से चिकित्सक नेचरोपैथी एवं प्राकृतिक चिकित्सा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली से । माता - सरस्वती देवी पिता - आर०एन० सिंह अध्यक्ष तारांजलि फाउंडेशन गाजियाबाद एनसीआर नई दिल्ली राष्ट्रीय महासचिव भारतीय नारी सेना सबला फाउंडेशन अध्यक्ष राष्ट्रीय महिला काव्य मंच पूर्वांचल हिन्दी साहित्य में विभिन्न सम्मानों से अलंकृत /सम्मानित ---- " श्रेष्ठ कवयित्री " सम्मान से जे०एम०डी० पब्लिकेशन नयी दिल्ली द्वारा ग्वालियर मध्य प्रदेश में सम्मानित क्रांति धरा सम्मान मेरठ उत्तर प्रदेश द्वारा वरिष्ठ काव्य प्रतिभा सम्मान से सम्मानित राष्ट्र भाषा स्वाभिमान न्यास द्वारा द्वारा " हिंदी साहित्य सम्मान " से सम्मानित /अलंकृत के०वी०एस० प्रकाशन नई दिल्ली द्वारा " के वी एस गौरव सम्मान "से सम्मानित /अलंकृत स्वच्छता अभियान में जे० पी० संस्थान नई दिल्ली द्वारा स्वच्छता अग्रदूत सम्मान से अलंकृत नेपाल दूतावास के तत्वाधान में आयोजित विश्व मैत्री सम्मेलन एवं अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन " जनकपुर नेपाल में " हिन्दी साहित्य में " वरिष्ठ प्रतिभा सम्मान "से सम्मानित / अलंकृत निष्पक्ष प्रतिनिधि पत्रिका के साहित्य पेज के संपादक के रूप में सम्मानित / अलंकृत राष्ट्रीय चिंतन परिषद से " राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान " से अलंकृत विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर बिहार से विद्यावाचस्पति सम्मान से सम्मानित /अलंकृत संस्कार भारती द्वारा --- " लक्ष्मी हरीभाऊ वाकणकर" सम्मान से अलंकृत " हम साथ-साथ हैं " प्रतिष्ठित संस्था भारत और नेपाल की संस्था द्वारा सम्मिलित नई दिल्ली " बाल यौन उत्पीड़न- समस्या समाधान " पर " शोध व्याख्यान "पर उत्कृष्ट सम्मान से सम्मानित/अलंकृत देश-विदेश के विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर गीत ,ग़ज़ल , कविताएं , कहानियां प्रकाशित होती रहती हैं । समय-समय पर आकाशवाणी गोरखपुर , दिल्ली , लखनऊ एव दूरदर्शन में आमंत्रित होने पर काव्य पाठ कहानी पाठ एवं विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर प्रसारण हेतु व्याख्यान । पांच साझा काव्य संग्रह प्रकाशित । कहानियां प्रकाशित । डा० तारा सिंह अंशुल

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कथा गर्व से भर देती है शहीदों की कुर्बानी पथ प्रशस्तकरते हैं हमारा अमर वीर बलिदानी।फूली नहीं समाती सुनकर मां सैनिक सपूतों की गाथा,अमर शहादत करते सदा ये वतन प्रहरी हिंदुस्तानी। डा0तारा सिंह अंशुल ©Dr Tara Singh Anshul

#शायरी #Rose  कथा गर्व से भर देती है शहीदों की कुर्बानी पथ प्रशस्तकरते हैं हमारा अमर वीर बलिदानी।फूली नहीं समाती सुनकर मां सैनिक सपूतों की गाथा,अमर शहादत  करते सदा ये वतन प्रहरी हिंदुस्तानी।
डा0तारा सिंह अंशुल

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#Rose

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#शायरी  डा0तारा सिंह अंशुल

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आज थल सेना दिवस पर व मकर संक्रांति पर आपकी मित्र डॉक्टर तारा सिंह अंशुल द्वारा अदम्य वीरता के प्रतीक , सेना के जवान वतन प्रहरियों / वीर सैनिकों को अपना बधाई संदेश अपने इस वीडियो के माध्यम से भेजा है.. और देशवासियों को मकर संक्रांति के पर्व पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित किया है... मित्रों कृपया आप भी सुने और अपनी टिप्पणियों से मुझे अनुग्रहित करें। डा0 तारा सिंह अंशुल ©Dr Tara Singh Anshul

#समाज #HeartBreak  आज थल सेना दिवस पर व मकर संक्रांति पर 
आपकी मित्र डॉक्टर तारा सिंह अंशुल द्वारा अदम्य वीरता के प्रतीक , सेना के जवान
वतन प्रहरियों / वीर सैनिकों  को अपना बधाई संदेश अपने इस वीडियो के माध्यम से भेजा है.. और देशवासियों को मकर संक्रांति के पर्व पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित किया है... मित्रों कृपया आप भी सुने और अपनी टिप्पणियों से मुझे अनुग्रहित करें।
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जीवन का कल होगा सवेरा रात अभी बाकी है जरूर मिलेंगे कभी यूं मुलाकात अभी बाकी है टूटे दिलों का वजूद महरूम सदा रहा प्यार से मोहब्बत पाक़ीज़ा देना सौगात अभी बाकी है डा0 तारा सिंह अंशुल ©Dr Tara Singh Anshul

#Sawankamahina  जीवन का कल होगा सवेरा रात अभी बाकी है
जरूर मिलेंगे कभी यूं मुलाकात अभी बाकी है
टूटे दिलों का वजूद महरूम सदा रहा प्यार से   
मोहब्बत पाक़ीज़ा देना  सौगात अभी बाकी है

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चलती जिंदगी ये जूझती रही टूटती बिखरती रही, बुलंद हौसलों के साथ कुछ ऐसेही निखरती रही। खत्म होते-होते शुरू हो जाती है यूं कहीं से भी, ऐसे हर दिन नुरानी हुईनये रौनक से संवरती रही डा0 तारा सिंह अंशुल ©Dr Tara Singh Anshul

 चलती जिंदगी ये जूझती रही टूटती बिखरती रही,
बुलंद हौसलों के साथ  कुछ ऐसेही निखरती रही।
खत्म होते-होते शुरू हो जाती है यूं कहीं से भी, 
ऐसे हर दिन नुरानी हुईनये रौनक से संवरती रही
 डा0 तारा सिंह अंशुल

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चलती जिंदगी ये जूझती रही टूटती बिखरती रही, बुलंद हौसलों के साथ कुछ ऐसेही निखरती रही। खत्म होते-होते शुरू हो जाती है यूं कहीं से भी, ऐसे हर दिन नुरानी हुईनये रौनक से संवरती रही डा0 तारा सिंह अंशुल ©Dr Tara Singh Anshul

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