ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। आंसू बनकर बह रही थ | हिंदी कविता

"ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। आंसू बनकर बह रही थी हमने दी आवाज उनको वो बोले हम क्यों बचाएं तुमको😟😷"

 ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। आंसू बनकर बह रही थी
हमने दी  आवाज उनको 
वो बोले हम क्यों बचाएं तुमको😟😷

ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। आंसू बनकर बह रही थी हमने दी आवाज उनको वो बोले हम क्यों बचाएं तुमको😟😷

@VARSHA KUSHWAH @Namita Writer @Kamal Joshi @Ashutosh Kumar @Ganesh Prasad #nojoto#Barbadi

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