White आना आज शाम को आज की शाम तुम मुझे वहीं मिलना | हिंदी Poetry

"White आना आज शाम को आज की शाम तुम मुझे वहीं मिलना जहां सूरज ढला करता था कुछ और तप्त होकर जहां परिंदे बोझिल होकर पंखों को ढलकाते हुए अपने घरौंदों पर आते थे जहां से पशुओं का बेड़ा धूल उड़ाते हुए मध्यम गति से जुगाली करता हुआ लौटता था अपनी सानी की चाह में तुम आना नि:संकोच उसी बाट से,जिस पर से गुजरता था प्रेम में डूबे प्रेमी का जोड़ा,,, रोज़ आना ,,,शाम को जब सूरज अपनी किरणों को कुछ और कमजोर करके चला जा रहा होगा प्राची की गोद में आना तुम कुछ सपने लेकर साथ में कुछ खुशियां लेकर चांद के पास बैठकर कहेंगे कुछ सुलझी हुई कुछ अनसुलझी बातें बहुत सारी,,रात होने तक ©परिंदा"

 White आना आज शाम को
आज की शाम 
तुम मुझे वहीं मिलना
जहां सूरज ढला करता था
कुछ और तप्त होकर
जहां परिंदे बोझिल होकर
पंखों को ढलकाते हुए 
अपने घरौंदों पर आते थे
जहां से पशुओं का बेड़ा
धूल उड़ाते हुए मध्यम गति से
जुगाली करता हुआ लौटता था
अपनी सानी की चाह में
तुम आना नि:संकोच
उसी बाट से,जिस पर से
गुजरता था प्रेम में डूबे 
प्रेमी का जोड़ा,,, रोज़ 
आना ,,,शाम को 
जब सूरज अपनी किरणों को
कुछ और कमजोर करके
चला जा रहा होगा
प्राची की गोद में
आना तुम कुछ सपने लेकर
साथ में कुछ खुशियां लेकर
चांद के पास बैठकर कहेंगे
कुछ सुलझी हुई कुछ अनसुलझी
बातें बहुत सारी,,रात होने तक

©परिंदा

White आना आज शाम को आज की शाम तुम मुझे वहीं मिलना जहां सूरज ढला करता था कुछ और तप्त होकर जहां परिंदे बोझिल होकर पंखों को ढलकाते हुए अपने घरौंदों पर आते थे जहां से पशुओं का बेड़ा धूल उड़ाते हुए मध्यम गति से जुगाली करता हुआ लौटता था अपनी सानी की चाह में तुम आना नि:संकोच उसी बाट से,जिस पर से गुजरता था प्रेम में डूबे प्रेमी का जोड़ा,,, रोज़ आना ,,,शाम को जब सूरज अपनी किरणों को कुछ और कमजोर करके चला जा रहा होगा प्राची की गोद में आना तुम कुछ सपने लेकर साथ में कुछ खुशियां लेकर चांद के पास बैठकर कहेंगे कुछ सुलझी हुई कुछ अनसुलझी बातें बहुत सारी,,रात होने तक ©परिंदा

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