White आना आज शाम को
आज की शाम
तुम मुझे वहीं मिलना
जहां सूरज ढला करता था
कुछ और तप्त होकर
जहां परिंदे बोझिल होकर
पंखों को ढलकाते हुए
अपने घरौंदों पर आते थे
जहां से पशुओं का बेड़ा
धूल उड़ाते हुए मध्यम गति से
जुगाली करता हुआ लौटता था
अपनी सानी की चाह में
तुम आना नि:संकोच
उसी बाट से,जिस पर से
गुजरता था प्रेम में डूबे
प्रेमी का जोड़ा,,, रोज़
आना ,,,शाम को
जब सूरज अपनी किरणों को
कुछ और कमजोर करके
चला जा रहा होगा
प्राची की गोद में
आना तुम कुछ सपने लेकर
साथ में कुछ खुशियां लेकर
चांद के पास बैठकर कहेंगे
कुछ सुलझी हुई कुछ अनसुलझी
बातें बहुत सारी,,रात होने तक
©परिंदा
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