दिन ढलने तो दो शाम को घर आ जायेंगे, परिंदे भला घो | हिंदी Shayari

"दिन ढलने तो दो शाम को घर आ जायेंगे, परिंदे भला घोंसला छोड़ कर कहाँ जायेंगे, खुद ही जानते हैं हम राहें बनाने का हुनर, हम राहें भटक भी जायेंगे तो कहाँ जायेंगे..! ©Khan Sahab"

 दिन ढलने तो दो शाम को घर आ जायेंगे,

परिंदे भला घोंसला छोड़ कर कहाँ जायेंगे,

खुद ही जानते हैं हम राहें बनाने का हुनर,

हम राहें भटक भी जायेंगे तो कहाँ जायेंगे..!

©Khan Sahab

दिन ढलने तो दो शाम को घर आ जायेंगे, परिंदे भला घोंसला छोड़ कर कहाँ जायेंगे, खुद ही जानते हैं हम राहें बनाने का हुनर, हम राहें भटक भी जायेंगे तो कहाँ जायेंगे..! ©Khan Sahab

#घोंसला_छोड़_कर_कहां_जायेंगे
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