#Pehlealfaaz उश्शाक़ थे वो उनका, जिनकी रग़बत कोई ओर था।
महरुम रहे वो,पर उनके किस्मत मे कोई ओर था।
जिन्हें जान हमेशा माना, वो सुकून की बनी दुश्मन।
प्यार था बहाना, उनकी अरमां कुछ ओर था।
उनसे चाहतें हमेशा मुस्तक़िल रही, वो साथ हो ना हो पर आरजू कि हद तक वो कामिल रही।