काश हम ना मिले होते
काश तुम पहले अपना रंग दिखाती, तो ये नौबत ना होती।
विलख रहा हुं मै तुम बिन, फिर ये आफत ना होती।
फर्क नही पड़ता तुमको, अब मेरे आने जाने से।
चाहे हाल बुरा हो मेरा, तुम्हें है मौज़ ज़माने से।
मैं दुर भला था इनसब से,तुमने पास बुलाया था।
खुशियां तो तुम दे ना सके, पर दिल मे आश जगाया था।
वादा करके मुकर गये,क्यों फिर विश्वास दिलाया था।
चाहत के दिपक से मैंने, घर अपना संग सजाया था।
हाल मेरा बेहाल बना के, अब तुम खुशी मनाते हो।
कैसा प्यार था तेरा यारा, जो चाहत को तुम रुलाते हो।
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