White बिछड़ते वक्त और रुकते मैं तुमको निहार लेता | हिंदी कविता

"White बिछड़ते वक्त और रुकते मैं तुमको निहार लेता तुम्हारी उलझी लटों को मैं इकदफा संवार लेता यूँ तो घिरा ही रहता हूं हरदम महफिलों में मैं टीस है कोई तो होता जो मुझको पुकार लेता ©अम्बिका मिश्र प्रखर"

 White 
बिछड़ते वक्त और रुकते मैं तुमको निहार लेता 
तुम्हारी उलझी लटों को मैं इकदफा संवार लेता
यूँ तो घिरा ही रहता हूं हरदम महफिलों में मैं 
टीस है कोई तो होता जो मुझको पुकार लेता

©अम्बिका मिश्र प्रखर

White बिछड़ते वक्त और रुकते मैं तुमको निहार लेता तुम्हारी उलझी लटों को मैं इकदफा संवार लेता यूँ तो घिरा ही रहता हूं हरदम महफिलों में मैं टीस है कोई तो होता जो मुझको पुकार लेता ©अम्बिका मिश्र प्रखर

#good_night

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