एक सफ़र था खत्म हुआ, हुआ दूजे का आगाज़।। कल कहां थ | हिंदी विचार

"एक सफ़र था खत्म हुआ, हुआ दूजे का आगाज़।। कल कहां थे हम अभी, हम कहां हैं आज।। रुकना नहीं , थकना नहीं विफलताओं से झुकना नहीं। बढ़ते रहने दे कदम, सुन मन की खुद आवाज।। कर मुश्किलों से सामना, बन अंबर में परवाज़।। सोच अडिग कर,ध्यान सटीक कर, लक्ष्य कठिन हो,चाहे कितना । भेद निशाना , बिन चूके, कर अर्जुन सा अंदाज।। सोच में अपनी साज़ पीड़ोकर, रख मेहनत की लाज।। कल कहां थे हम अभी, हम कहां हैं आज।। #Undefined_Rainbow ©Alok P Gaurav"

 एक सफ़र था खत्म हुआ,
हुआ दूजे का आगाज़।।
कल कहां थे हम अभी,
हम कहां हैं आज।।

रुकना नहीं , थकना नहीं
विफलताओं से झुकना नहीं।
बढ़ते रहने दे कदम,
सुन मन की खुद आवाज।।

कर मुश्किलों से सामना,
बन अंबर में परवाज़।।

सोच अडिग कर,ध्यान सटीक कर,
लक्ष्य कठिन हो,चाहे कितना ।
भेद निशाना , बिन चूके,
कर अर्जुन सा अंदाज।।

सोच में अपनी साज़ पीड़ोकर,
रख मेहनत की लाज।।
कल कहां थे हम अभी,
हम कहां हैं आज।।
#Undefined_Rainbow

©Alok P Gaurav

एक सफ़र था खत्म हुआ, हुआ दूजे का आगाज़।। कल कहां थे हम अभी, हम कहां हैं आज।। रुकना नहीं , थकना नहीं विफलताओं से झुकना नहीं। बढ़ते रहने दे कदम, सुन मन की खुद आवाज।। कर मुश्किलों से सामना, बन अंबर में परवाज़।। सोच अडिग कर,ध्यान सटीक कर, लक्ष्य कठिन हो,चाहे कितना । भेद निशाना , बिन चूके, कर अर्जुन सा अंदाज।। सोच में अपनी साज़ पीड़ोकर, रख मेहनत की लाज।। कल कहां थे हम अभी, हम कहां हैं आज।। #Undefined_Rainbow ©Alok P Gaurav

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