यूँ तो उम्र भर पढ़ी थी किताब-ऐ-वफ़ा मैंने, पर इम्तिह | हिंदी Poetry

"यूँ तो उम्र भर पढ़ी थी किताब-ऐ-वफ़ा मैंने, पर इम्तिहान-ऐ-इश्क़ के काबिल ना हो सका! जिसे चाहते थे हम कभी खुद से ज्यादा बस एक वही शख्श हासिल ना हो सका !"

 यूँ तो उम्र भर पढ़ी थी किताब-ऐ-वफ़ा मैंने,
पर इम्तिहान-ऐ-इश्क़ के काबिल ना हो सका!

जिसे चाहते थे हम कभी खुद से ज्यादा 
बस एक वही शख्श हासिल ना हो सका !

यूँ तो उम्र भर पढ़ी थी किताब-ऐ-वफ़ा मैंने, पर इम्तिहान-ऐ-इश्क़ के काबिल ना हो सका! जिसे चाहते थे हम कभी खुद से ज्यादा बस एक वही शख्श हासिल ना हो सका !

#Nojoto

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